School : दूसरी कक्षा की किताब 2130 में लेकर आया हूं साहब कॉपी पेंसिल खरीद नहीं पाया....


मजदूर हूं! दूसरी कक्षा की किताब 2130 में लेकर आया हूं साहब! कॉपी पेंसिल खरीद नहीं पाया❓

6AM NEWS TIMES Lucknow, Uttar Pradesh, Posted By Anjali yadav, Edited By : Ravindra yadav, Published : Wed, 17 Jul 2024 05:14: PM (IST)

देश भर में प्राइवेट स्कूलों में कॉपी किताब के नाम पर खुलेआम चल रहा लूट का व्यापार।

प्राइवेट स्कूलों ने मनमानी की तो खैर नहीं! सीएम मोहन यादव ने किताबों और यूनिफॉर्म को लेकर दिए सख्त निर्देश। 

MP School News: मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव प्राइवेट स्कूलों को लेकर सख्त नजर आ रहे हैं। स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री ने आदेश जारी किया है कि अगर कोई स्कूल ड्रेस और किताबों को लेकर दबाव बनाता है तो उसकी खैर नहीं है।

MP News: मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाने के लिए 1 अप्रैल को एक बड़ा आदेश जारी किया है। सीएम ने यह आदेश दिया है कि अब प्राइवेट स्कूल किसी निर्धारित दुकान से ही किताबें, यूनिफॉर्म और बाकी शिक्षण सामग्री खरीदने का दबाव अभिभावक पर नहीं बना सकते हैं। अगर ऐसी कोई शिकायत मिली, तो स्कूल प्रबंधन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

मध्य प्रदेश के भिड़ में कक्षा 2 में पढ़ने वाले अपने बच्चे की किताबें लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचा मजदूर, कहा- 2130 रुपए में लाया हूं, कलेक्टर ने स्कूल की मान्यता रद्द करने का दिया आदेश।

मजदूर ने कलेक्‍टर को बताया स्‍कूल की किताबें केवल एक ही दुकान पर मिल रही हैं। उसकी क्षमता कितााबें खरीदने की नहीं है। कलेक्‍टर ने तुरंत डीपीसी को स्‍कूल की मान्‍यता निरस्‍त करने के निर्देश दिए। पहले भी ऐसे ही मामले में एक स्‍कूल की मान्‍यता निरस्‍त हो चुकी है।


Bhind News: साहब! मजदूरी करता हूं, दूसरी कक्षा में पढ़ने वाले बच्चे की किताब 2130 में लेकर आया हूं

कलेक्‍टर से स्‍कूल की शिकायत करता मजदूर कलेक्टर ने डीपीसी को स्कूल की मान्यता निरस्त करने के निर्देश दिए

मजदूर ने की कलेक्टर से निजी स्कूल की शिकायत पहले भी ऐसे ही मामले में एक निजी स्कूल की मान्यता निरस्त हो गई,

Updated by : मध्य प्रदेश, प्रतिनिधि समृद्धि यादव। 

साहब! मजदूरी कर मैं अपने परिवार का भरण-पोषण करता हूं। मैं अपने बेटे को हलवाई खाना स्थित सानिध्य विद्या निकेतन स्कूल में कक्षा दो में पढ़ाता हूं । स्कूल प्रबंधन ने किताबें खरीदने के लिए पर्ची दी, जिस पर सुविधा बुक स्टोर का नाम लिखा था। यह किताबें दूसरी किसी दुकान पर उपलब्ध नहीं थीं। पुस्तक बाजार में संचालित इस दुकान से जब किताबें खरीदी, तो दुकानदार ने 2130 रुपए मांगे।

मैंने इतनी अधिक कीमत सुनकर जब मोलभाव का प्रयास किया, तो दुकानदार ने साफ इंकार कर दिया। इतना ही नहीं, कापियों के लिए 500 रुपए और मांगे गए। लेकिन मेरे पास पूरे रुपये न होने की वजह से कापियां नहीं खरीद पाया। इन किताबों में एनसीईआरटी की एक भी किताब नहीं थी। यह बात कलेक्टर श्रीवास्तव से हलवाई खाना निवासी इमदाद अहमद ने कही।

युवक की शिकायत सुनने के बाद कलेक्टर श्रीवास्तव ने डीपीसी व्योमेश शर्मा को फोन किया। उन्होंने निर्देश दिए कि एक ही दुकान से अधिक दाम पर किताबें खरीदने के लिए बाध्य करने वाले सानिध्य विद्या निकेतन स्कूल की मान्यता को तुरंत निरस्त कर दिया जाए। बता दें, कि इससे कुछ दिन पूर्व सेंट माइकल स्कूल की मान्यता भी सस्पेंड की गई थी।

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